[object Object]thumbnail

The Crane And The Crab

बगुला भगत और केकड़ा

एक वन प्रदेश में एक बहुत बड़ा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री प्रचुर मात्रा में थी। इस कारण वहां मछलियां, कछुए, केकड़े, पक्षी और अनेक प्रकार के जीव वास करते थे।
पास ही एक बगुला रहता था, जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसकी आंखें भी कमजोर थीं, और मछलियां पकड़ने के लिए मेहनत करनी पड़ती थी — जो उसे खलती थी। आलस्य के कारण वह प्रायः भूखा ही रहता था।
वह एक टांग पर खड़ा यही सोचता रहता कि क्या उपाय किया जाए जिससे बिना हाथ–पैर हिलाए रोज़ भोजन मिल सके। एक दिन उसे एक उपाय सूझा, और वह उसे आज़माने बैठ गया।
बगुला तालाब के किनारे खड़ा हो गया और आंखों से आंसू बहाने लगा। एक केकड़े ने उसे रोते देखा तो पास आकर पूछा — "मामा, क्या बात है? भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने के बजाय यहां खड़े आंसू क्यों बहा रहे हो?"
बगुले ने ज़ोर की हिचकी ली और भर्राए गले से बोला — "बेटे, बहुत कर लिया मछलियों का शिकार। अब मैं यह पाप कार्य और नहीं करूंगा। मेरी आत्मा जाग उठी है। इसलिए मैं निकट आई मछलियों को भी नहीं पकड़ रहा हूं। तुम तो देख ही रहे हो।"
केकड़ा बोला — "मामा, शिकार नहीं करोगे तो खाओगे क्या? ऐसे तो मर जाओगे!"
बगुला बोला — "ऐसे जीवन का नष्ट होना ही अच्छा है बेटे। वैसे भी हम सबको एक दिन मरना ही है। मुझे ज्ञात हुआ है कि शीघ्र ही यहां बारह वर्ष लंबा सूखा पड़ेगा।"
बगुले ने केकड़े को बताया कि यह बात उसे एक त्रिकालदर्शी महात्मा ने बताई है, जिसकी भविष्यवाणी कभी गलत नहीं होती।
केकड़े ने जाकर सबको बताया कि बगुला अब बलिदान और भक्ति का मार्ग अपना चुका है, और शीघ्र ही सूखा पड़ने वाला है। तालाब के सारे जीव — मछलियां, कछुए, केकड़े, बत्तखें और सारस — दौड़कर बगुले के पास पहुंचे और बोले — "भगत मामा, अब आप ही कोई उपाय बताइए। आप तो अब महाज्ञानी हो गए हैं।"
बगुले ने कुछ सोचकर कहा — "यहां से कुछ कोस दूर एक जलाशय है, जिसमें पहाड़ी झरना गिरता है। वह कभी नहीं सूखता। यदि तुम सब वहां चले जाओ, तो बचाव हो सकता है।"
अब समस्या थी — वहां तक जाया कैसे जाए? बगुला बोला — "मैं तुम्हें एक-एक करके अपनी पीठ पर बिठाकर वहां पहुंचा दूंगा। अब मेरा शेष जीवन दूसरों की सेवा में गुज़रेगा।"
सभी जीवों ने प्रसन्न होकर ‘बगुला भगतजी की जय!’ के नारे लगाए।
अब बगुला भगत के दिन फिर गए। वह रोज़ एक जीव को अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाता, और कुछ दूर जाकर एक चट्टान के पास उसे पटककर मार डालता और खा जाता। कभी मूड हुआ तो दो फेरे भी लगा लेता — और दो जीवों को चट कर जाता।
धीरे-धीरे तालाब में जानवरों की संख्या घटने लगी। चट्टान के पास हड्डियों का ढेर बढ़ने लगा, और बगुला भगत की सेहत खिलने लगी। वह मोटा, लाल चेहरा लिए और चमकते पंखों वाला दिखने लगा।
दूसरे जीव कहते — "देखो, दूसरों की सेवा का फल और पुण्य बगुला भगतजी के शरीर पर झलक रहा है।"
बगुला भगत मन ही मन खूब हंसता और सोचता — "देखो, कैसे मूर्ख जीव भरे पड़े हैं इस संसार में! थोड़ी सी चालाकी से बिना मेहनत के दावत उड़ाई जा सकती है। ऐसे मूर्खों की दुनिया में मजे ही मजे हैं।"
बहुत दिन यही क्रम चलता रहा। एक दिन केकड़े ने बगुले से कहा — "मामा, तुमने सबको वहां पहुंचा दिया, लेकिन मेरी बारी अभी तक नहीं आई।"
बगुला बोला — "बेटा, आज तेरा ही नंबर है। आजा, मेरी पीठ पर बैठ जा।"
केकड़ा खुश होकर उसकी पीठ पर बैठ गया। जब वे चट्टान के निकट पहुंचे, तो वहां हड्डियों का ढेर देखकर केकड़े का माथा ठनका।
वह बोला — "मामा, यह हड्डियों का पहाड़ कैसा है? वह जलाशय कितनी दूर है?"
बगुला भगत ठहाका लगाकर हंसा — "मूर्ख! वहां कोई जलाशय नहीं है। मैं सबको यहां लाकर खा जाता हूं। अब तेरी बारी है — आज तू मरेगा।"
केकड़ा सारी बात समझ गया। उसने हिम्मत नहीं हारी और तुरंत अपने मजबूत पंजों से बगुले की गर्दन दबा दी। वह तब तक दबाए रहा जब तक बगुले के प्राण नहीं निकल गए।
फिर केकड़ा बगुला भगत का सिर लेकर तालाब लौटा और सबको सच्चाई बता दी — कैसे वह दुष्ट उन्हें धोखा देता रहा।

Similar Stories

The Monkey and The Wedge Story Chapter Cover
The Jackal and the Drum Chapter Cover
Fall And Rise Of The Merchant Chapter Cover
The Foolish Sage & Swindler Chapter Cover
Fighting Goats & The Jackal Chapter Cover
The Cobra and the Crows Chapter Cover
Swipe to see more →

Panchatantra Stories for Kids - Ancient wisdom for modern children

© 2025 Panchatantra Stories, Plusdelta. All rights reserved.