The Sparrow And The Monkey
गौरैया और बन्दर
किसी जंगल में एक घने पेड़ की शाखाओं पर चिड़ा और चिड़िया का एक जोड़ा रहता था। दोनों अपने घोंसले में बहुत सुख से जीवन बिता रहे थे।
सर्दियों का मौसम था। एक दिन जब ठंडी हवा के साथ बूंदा-बांदी शुरू हुई, तो एक बंदर ठिठुरता हुआ उसी पेड़ की शाखा पर आ बैठा। ठंड से उसके दाँत कटकटा रहे थे।
चिड़िया ने उसे देखकर कहा, "अरे! तुम कौन हो? देखने में तो इंसानों जैसे लगते हो — हाथ-पैर भी हैं, चेहरा भी वैसा ही है। फिर तुम घर बनाकर क्यों नहीं रहते?"
बंदर ने झुंझलाकर उत्तर दिया, "अरी! तू चुप नहीं रह सकती? अपना काम कर, मेरा मज़ाक मत उड़ा।"
लेकिन चिड़िया फिर भी बोलती रही, उसे समझाती रही कि सर्दी से बचने के लिए घर बनाना चाहिए। यह सुनकर बंदर क्रोध में भर गया। उसने छलांग लगाई और चिड़िया के घोंसले को तोड़-फोड़ डाला, जिसमें वह और उसका साथी सुख से रहते थे।
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